ग्लोबल वार्मिंग के कारण बिगड़ने लगा मौसम का संतुलन, बढ़ गई हैं प्राकृतिक आपदाएं



ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते असर के संकेत किस तरह मिलेंगे? कौन-कौन से देश इससे प्रभावित होंगे। ऐसे कई सवाल पिछले वर्षों में उठते रहे हैं। जलवायु वैज्ञानिकों ने अपने शोध के निष्कर्ष हाल ही में बताए हैं। वे कहते हैं कि दुनियाभर के मौसम का संतुलन बिगड़ने लगा है। इसके अतिरिक्त नई प्राकृतिक आपदाएं ऐसी हैं, जिनका सीधा संबंध ग्लोबल वार्मिंग से है।पृथ्वी के मौसम में मौजूदा परिवर्तन को वैज्ञानिकों ने ‘एक्स्ट्रीम वेदर’ कहा है। उसमें वर्ष 2016 को अब तक के दर्ज इतिहास में सबसे गर्म वर्ष कहा गया है। एशिया और आर्कटिक में रिकॉर्ड गर्मी बढ़ी है और ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीकी देशों का बड़ा हिस्सा रिकॉर्ड सूखे की चपेट में आया है। जलवायु वैज्ञानिकों ने पिछले वर्ष की प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन किया। उन्होंने पता लगाया कि किसे ग्लोबल वार्मिंग का असर कहा जा सकता है और किसे नहीं। दुनियाभर के शोधकर्ताओं ने पाया कि 27 प्राकृतिक आपदाएं एक्स्ट्रीम वेदर के अंतर्गत आती हैं। यह प्रयास जलवायु परिवर्तन पर गहराई से अध्ययन करने के लिए है, जिससे पता चले कि बढ़ती गर्मी और बदलते मौसम का आपस में क्या कनेक्शन है।तापमान बढ़ने की स्थिति में वैज्ञानिक आमतौर पर वास्तविक दुनिया के डेटा का अध्ययन करते हैं। अध्ययन के अन्य तरीकों को शामिल करके वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक घटनाओं और बदलते मौसम को चिन्हित किया है। पहली घटना दुनियाभर में बढ़ते तापमान की है। पिछले वर्ष पृथ्वी का तापमान सर्वाधिक था। उसका मुख्य कारण अल नीनो था, जिससे जमीन के तापमान में वृद्धि होती है। दो अलग-अलग शोध में पाया गया कि एशिया और आर्कटिक में वर्ष 2016 में रिकॉर्ड गर्मी बढ़ी। बिना मानवीय गतिविधियों के यह संभव नहीं है। दूसरी घटना पिछले दो वर्ष में प्रशांत महासागर के पानी का तापमान अधिक बढ़ा है, उसके कारण ग्रेट बैरियर रीफ में कोरल को अधिक नुकसान पहुंचा। अगर यह और बढ़ा तो कोरल का बड़ा हिस्सा खत्म हो जाएगा। इससे समुद्र के अंदर का इकोसिस्टम बिगड़ जाएगा। तीसरी बड़ी घटना सूखे की है। दक्षिण अफ्रीकी देशों में सूखा बढ़ने के कारण लाखों लोगों के लिए खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के प्रोफेसर शिन्ग युआन कहते हैं, इस बार के सूखे ने 60 वर्षों में विपरीत हालात पैदा किए हैं। चौथी बड़ी घटना उत्तरी अमेरिका में आग की है। पश्चिम कनाडा और अमेरिका में 89 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगल आग की भेंट चढ़ गए। अल्बर्टा राज्य में ही में भारी संख्या में लोग पलायन कर गए और 2400 घर आग की भेंट चढ़ गए। पांचवीं बड़ी घटना अलास्का जैसे सर्द राज्य से जुड़े समुद्र में गरमाहट बढ़ना है। वहां उसे ‘द ब्लॉब’ कहते हैं। पानी में गर्माहट बढ़ने के कारण उस क्षेत्र में जहरीले शैवाल बढ़ने लगे हैं। हजारों सी-बर्ड की जान चली गई और प्रशासन को मत्स्य पालन बंद करना पड़ा है।
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