SCIENCE IN HINDI
मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश जारी हैं, और ना जाने कब तक जारी रहेगी ?
इसी तलाश में मंगल ग्रह पर अनेकों सेटेलाइट और रोबर ,वैज्ञानिकों द्वारा भेजे जा चुके हैं ।
पर कई बार हम इंसानों के दिमाग में ,कई सवाल पैदा होते हैं
क्या कभी मार्स पर जीवन मौजूद था?
क्या आज भी मार्स पर कहीं जीवन मौजूद है ?
क्या आगे भविष्य में मंगल पर जीवन पनपने लायक हालत पैदा किये जा सकते है?
लेकिन अब ऐसे ही सवालों के जवाब मिलना शुरू हो चुके हैं ।
मार्श गेल क्रेटर , जहां मौजूद है nasa का curiosity rover ,जो की 6 सालों से मार्श की सतह पर जीवन के निशान तलाश रहा है । curiosity rover मार्स के गेल क्रेटर में मौजूद ,3अरब साल पुराने अनेकों sedimentary rock में ,drilling कर रहा है ।
ताकि हमें मार्स के अंदर की ज़मीन के बारे में , कुछ इन्फॉर्मेशन मिल सके । ये पत्थर उस समय के हैं ,जब मार्स पर तरल पानी बहता था। और मार्स के पास पृथ्वी जैसा ही अपना एक एटमॉस्फियर हुआ करता था।
सिर्फ 2.5 डाई इन्च के ड्रील से मार्स की लाल रंग की परत हट जाती है और पृथ्वी की ही तरह ग्रे कलर की मिट्टी बाहर निकल आती है ।मिट्टी के इस सैम्पल को curiosity rover में लगे उपकरण sam के द्वारा एनालाइज किया जाता है ।जिसका पूरा नाम sample analysis at mars है । जो की एक माइक्रोवेव के आकार की चलती फिरती लैब के समान है ।
मिट्टी को एनालाइज करने के लिए मिट्टी को पहले लग भग 1000 c तक गर्म कर भाप में बदल दिया जाता है।इस के बाद सैम्पल में मौजूद अलग अलग तत्वों के मॉलीक्यूल्स के बारे में सैम की मदद से जानकारी प्राप्त की जाती है ।
पर हाल ही में SAM द्वारा प्राप्त मिट्टी की जांच के नतीजे काफी चौंकाने बाले थे ।क्योंकि इस में बहुत अधिक मात्रा में ऑर्गेनिक कम्पाउंड मौजूद थे।वैज्ञानिकों के अनुसार इसमें कॉर्बन नाइट्रोजन ऑक्सीजन फोस्फोरस और सल्फर ,यानी वो सारे तत्व जो जिंदगी को बनाने और संरक्षित करने में बहुत ही मददगार होते हैं मौजूद थे ।
वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल से प्राप्त ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल ,किसी बड़े कार्बनिक मॉलिक्यूल के ही टुकड़े है । जो केरोजन जैसी चट्टान में मौजूद होते हैं ।पृथ्वी पर केरोज़ेन कोयले में पाये जाते हैं जो की पेड़ पौधों और बैक्टीरिया के जीवाश्म से बनते हैं ।
ऑर्गेनिक कम्पाउंड का मतलब यह है ,की शायद मार्श पर काफी समय पहले जीवन रहा हो ।या आज भी मार्स पर जीवन मौजूद हो । यहाँ पृथ्वी पर हमारा जीवन ऑर्गेनिक कॉम्पोउंड्स से ही शुरू होता है । organic compound कॉर्बन के ही अलग अगल इस्ट्रक्चर होते हैं ।
जिससे पौधे और जानवर बनते हैं ।इन इस्ट्रक्चरस में ही एमिनो एसिड और प्रोटीन भी होते हैं जिससे जीवन की शुरुआत हुई ।
इस लिए अब हम कह सकते हैं की, मार्स पर आज से कई अरब
साल पहले ,जब मार्स पर पानी तरल रूप में बहता था, एवं मार्स के पास पृथ्वी जैसा ही अपना एक एटमॉस्फियर था। तब कम से कम सूक्ष्म जीवों के रूप में मार्स पर जीवन जरूरत मौजूदा था ।
यानी भले ही आज मार्स पर जीवन मौजूद ना हो पर कभी ना कभी मार्स पर जीवन जरूर पनपा था ।जो हमें एक बार फिर सोचने पर मजबूर करता है की क्या हम इंसान मार्स के ही जीव तो नहीं
क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है की ,मार्स पृथ्वी से आकर में छोटा है। और पृथ्वी के मुकाबले सूरज से दूर ,इस लिए मार्स पृथ्वी के मुकाबले कहीं जल्दी ठण्डा हो गया होगा ।इस लिए मार्स पर जीवन पृथ्वी से काफी पहले शुरू हुआ होगा। सौलर सिस्टम के जीवन के काफी सुरुआत में ही मार्श पृथ्वी जैसा दिखता होगा। जबकि पृथ्वी उस वक़्त ऐसी नहीं थी ।
और मार्स पर सिर्फ 5 सेंटीमीटर की खुदाई से ही इतनी अधिक मात्रा में ऑर्गेनिक कॉम्पोउंड्स का मिलना इस धारणा को और अधिक मजबूत करता ।कहीं मार्श की लाइफ हम इंसान के रूप में आज भी पृथ्वी पर बची हुई हो ।और हमारे पूर्बज मार्श से आये हुये बैक्टीरीया रहे हो ।हो सकता है पृथ्वी पर जीवन की उत्तपत्ति का राज मार्श पर ही कहीं छिपा हो जिसे खोजा जाना अभी बाकी है।
इस लिए मार्स पर कार्बनिक तत्वों का मिलना हमारे वैज्ञानिकों के लिए इतना अहम है
और हमारे वैज्ञानिक 6 सालों से curiosity रोबर के द्वारा मंगल ग्रह पर बस इसी लिये कार्बन की तलाश में थे । ताकी हमें मार्स के खत्म हुये जीवन के बारे में कुछ पता चल सके ।
सल्फर
साथ ही मार्स पर सल्फर का मिलना भी एक अच्छा संकेत है।
क्यों की सल्फर एक बहुत अच्छा संरक्षक है ।जो की किसी भी चीज को लम्बे समय तक सहेज कर रखने में मददगार है।
जैसे की हमारे बाल और नाखूनों में भी सल्फ़र पाया जाता है। इस कारण से ही मरने के काफी समय बाद तक हमारे बाल और नाखून संरक्षित रहते हैं।
सल्फ़र ऑर्गेनिक मॉलीक्यूल्स को आपस में जोड़े रखता है । इस लिए वैज्ञानिकों का मानना है की सल्फर ने मार्स पर ऑर्गेनिक कम्पाउंड और जीवन के निशानों को भी सहेज कर रखा होगा और ऑक्सीकरण से बचाया होगा जो की मंगल ग्रह पर जीवन के निशान खोजने में मददगार साबित होगा ।
मेथेन
और हाल ही में वैज्ञानिकों ने मार्स पर मेथेन गैस की खोज भी की है ।मार्स पर मेथेन का मिलना भी जीवन की उम्मीद जगाता है ।
क्यों कि हमारी पृथ्वी पर मेथेन का निर्माण सिर्फ दो कारणों से सम्भव हो पाता है ।
पहला कारख़ानों और फेक्टरियों द्वारा मेथेन का निर्माण हो सकता है ।दूसरा मेथेन का स्रोत जीवन है , यानी पेड़ पौधों जानवरों और बैक्टीरिया द्वारा भी मिथेन का निर्माण होता है ।पर मार्स पर कारखाने फ़ैक्टरी तो हैं नहीं ,इस लिए कहीं मार्स पर कोई जीव तो मौजूद नहीं जो मेथेन का निर्माण कर रहे हों ।
साथ ही विज्ञानियों को पता चला की मार्स पर मीथेन की मात्रा मौसमों के हिसाब से बदलती रहती है, गर्मियों के मौसम में मीथेन की मात्रा अधिक हो जाती है, जबकि सर्दियों के मौसम में कम ।
वैज्ञानिकों के अनुसार मीथेन मार्स की सतह के नीचे से आ रही है।इस लिए कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि, हो सकता है मार्स की सतह के नीचे मौजूदा पानी में कुछ सूक्ष्म जीव मौजूद हों जो की मेथेन पैदा कर रहे हो साथ ही गर्मियों के मौसम में सूक्ष्म जीवों के ज्यादा एक्टिव रहने व गर्मियों के मौसम में ज़मीन में दरारें पड़ने
की बजह से मीथेन की मात्रा गर्मियों के मौसम में बढ़ जाती हो ।
पानी
क्योंकि हाल ही में मंगल ग्रह पर मौजूद यूरोपियन सेटेलाइट मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर ने मंगल ग्रह पर तरल पानी की खोज की है ।यह पानी मार्श की सतह से 1.5 किलोमीटर नीचे बने केज में मौजूद है ।पानी के यह केज 200 किलोमीटर तक के क्षेत्र में फैले हुए हैं ।
मंगल ग्रह पर तरल पानी की खोज काफी लम्बे समय से चल रही थी , पर मार्स की सतह पर पानी मिलना असम्भव है ।क्योंकि की मार्श पर वातावरण का दबाव इतना कम है की सतह पर पानी तरल अवस्था मे नहीं रह सकता ।मार्स पर इअर प्रेशर कम होने की बजह से मार्श की सतह पर मौजूद पानी उबल कर स्पेस में उड़ गया पर उसके निशान आज भी मार्स की सतह पर मौजूद हैं ।
इस लिए वैज्ञानिकों को यकीन था की मार्स की सतह के नीचे कहीं ना कहीं पानी जरूर मौजूद होगा । और वैज्ञानिकों ने marsis के द्वारा पानी की खोज शुरू की
Mars express orbiter में Marsis नाम का एक पावर फूल रडार लगा है । जो की मंगल ग्रह की सतह के नीचे electro magnetic waves भेजता है । जिससे कि मार्स की सतह के अन्दर मौजूद सिस्टरकचिर्स का एक मैप तैयार होता है । जिससे की अंडरग्राउंड पानी को आसानी से खोजा जा सकता है ।
साथ ही वैज्ञानिकों को यह भी पता चला है की यह पानी salty है । इस लिए इस पानी में जीवन का पनपना बहुत मुश्किल है । पर इस के बाबजूद इस पानी में बड़े जीव ना सही पर सूक्ष्म जीव जैसे की वैक्टीरिया आदि मौजूद हो सकते हैं ।
और हाल ही में हमारी पृथ्वी पर कई ऐसे सूक्ष्म जीव पाये गये हैं ।जिन्होंने जिंदगी के बारे में हमें अपने नजरिया को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है ।
क्यों कि अब हम जानते हैं कि लाइफ को हम जितना नाजुक
समझते हैं ।लाइफ उससे कहीं ज्यादा टफ है ।यहां हमारी पृथ्वी पर जवालामुखी के उबलते तालाबों से लेकर ,जमी हुई बर्फ तक में, हमें जिंदगी के निशान नजर आजाते हैं।
अगर हम पृथ्वी पर पाये जाने बाले टॉडी ग्रेड की बात करें तो ये पृथ्वी पर कहीं भी रह सकते हैं ।जमी हुई बर्फ में उबलते जुवालमुखिओ के अंदर स्पेस के बेकिउम और रेडिएशन में भी जिंदा रह सकते हैं ।
ऐसे ही कुछ जीवों को एक एक्सपेरीमेंट के दौरान स्पेस में कॉस्मिक रेडियेशन और स्पेस बेकिउम के बीच लम्बे समय तक छोड़ दिया गया ।पर जब पृथ्वी पर वापस लाकर इन जीवों की जाँच की गई तो नतीजे चौकाने बाले थे ।
यह सूक्ष्म जीव स्पेस में कॉस्मिक रेडियेशन और स्पेस बेकिउम के बीच सिर्फ जिन्दा ही नहीं थे साथ ही अपनी संख्या भी बढ़ा रहे थे । जो की एक हैरान करने बाली बात थी ।
इस लिये मार्श पर रेत के नीचे या पुरानी गुफाओं और लाबा ट्यूब के अंदर आज भी जीवन मौजूद हो सकता है ।जो बचे खुचे पानी और इंटरनल हीट का इस्तेमाल कर फल फूल रहा हो ।यानी मार्स पर पानी ऑर्गेनिक मेटर यानी बो सारे तत्व जो जीवन को बनाने और जीवत रखने के लिए मौजूद होने चाहिए बो सभी हैं ।
इस लिए भले ही हम जैसे सोचते हैं या जैसा हॉलीबुड की मूवीज़ में देखते हैं , वैसी ना सही पर एक अगल ग्रह पर एक अलग ही माहौल में एक अगल दुनिया में एक अगल ही जीवन मौजूद था और आज भी मौजूद हो सकता है ।
मंगल ग्रह की सतह पर ही, इतनी अधिक मात्रा में ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल का मिल जाना ,हमें यह सूचने पर मजबूर करता है,
की मार्श की सतह के नीचे अभी कई राज दफन हैं ,जिनके ऊपर से अभी पर्दा उतना बाकी है।
पर curiosity rover के साथ समस्या ये है की, यह सिर्फ 5
सेंटीमीटर तक ही Mars की सतह की खुदाई कर सकता है ।
इस लिए इस काम को आगे बढ़ाने के लिए नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी साथ मिलकर एक नेक्स्ट जेनरेशन exo mars रोबर मंगल ग्रह पर भेजेंगे ,जो curiosity rover के काम को आगे बढ़ायेगा ।
जो की मार्स की सतह के 2 मीटर नीचे तक ड्रिल करके सैम्पल निकाल पायेगा । और exo मार्स रोबर में निकाले गये सैम्पल्स की जाँच के लिए sam से कई गुना आधुनिक यन्त्र लगा है । जिसका पूरा नाम Mars organic molecule analyser है ।
आज मंगल ग्रह पर भेज गए अनेकों सेटेलाइट और रोबर्स के द्वारा हमें जो जानकारी प्राप्त हो रही है । यही जानकारी मार्स पर इंसान को भेजे जाने बाले पहले मिसन का आधर बनेगी और मिसन की सफलता और असफलता में अहम रोल निभाएगी ।और तय करेगी की पृथ्वी के बाद हम इंसानों का दूसरा घर मार्स बन पायगा या नहीं ।
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